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17 December 2014

नोबेल विजेता सत्यार्थी का राजकीय सम्मान

सत्यार्थी सम्मानित

भोपाल: राजभवन और मुख्यमंत्री निवास पर बुधवार को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. नोबल शांति पुरुष्कार विजेता विदिशा निवासी सम्मानीय कैलाश सत्यार्थी जी का राजकीय सम्मान किया गया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ओर राज्यपाल राम नरेश यादव ने सत्यार्थी को सम्मानित किया. इस अवसर पर संबोधन मे कहा गया बेटी और बचपन को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. सम्मान समारोह मे पाकिस्तान पेशावर हमले में मारे गए बच्‍चों को श्रद्धांजलि दी गई. मुख्यमंत्री ने हमले की कड़ी निंदा की. आतंकी हमले में मारे गए बच्चों पर बोलते-बोलते राज्यपाल भाव विहल हो गए और आँखों मे आंसू आ गए.

श्री सत्यार्थी ने सम्मान समारोह मे नोबल पुरस्कार को भारत में ही रहने की बात कही. अभी तक देश को जितने भी नोबेल पुरष्कार मिले वे सभी विदेश मे है. सत्यार्थी ने अपने पुराने दिनों को याद किया और कहा जब वे सांची जाया करते थे, तो गौतम बुद्ध की प्रतिमा को देखकर सोचा करते थे कि मैं भी समाज के हित में काम करूंगा. उसी समय से उन्होंने बच्चों के लिए काम करने की ठानी थी. सत्यार्थी ने कहा है कि फिल्मों की अश्लीलता का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और बच्चो का भविष्य खराब हो रहा है. सेंसर बोर्ड को अशलील सामग्री पर रोक लगाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'मैं भारतीय हूं और अंतिम सांस तक भारतीय रहूंगा'. महात्मा गांधी को मिलता नोबेल तो पुरस्कार का सम्मान बढता: सत्यार्थी. फिल्म जगत समाज का माहौल बिगाड़ रहा है :राज्यपाल.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कैलाश सत्यार्थी विदिशा जिले के जिस स्कूल में पढते थे. उसका नामकरण सत्यार्थी के नाम पर करने के साथ उन्हें जीवन-पर्यन्त राज्य अतिथि का दर्जा दिए जाने को कहा.

शांति का नोबेल मिलने के बाद पहली बार दो दिनों के लिये अपने गृह पहुंचे कैलाश सत्यार्थी. उनका दीदार करने स्वागत करने जश्न मे डूबा शहर. स्वागत के लिये शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया. विशाल और भव्य जुलूस निकाला गया. स्वागत के लिये आतुर रहे सभी नगरवासी. विदिशा आते समय प्रथम दिन मंगलवार को ललितपुर, बीना, गंजबासौदा रेलवे स्टेशन पर जमकर स्वागत किया गया. विदिशा पहुचने पर विभिन्न संगठनों और संस्थाओ ने स्वागत किया. दूसरे दिन राजधानी मे राजकीय सम्मान किया गया. सम्राट अशोक तकनीकी संस्थान विदिशा मे सम्मान किया गया. दोनों दिन लगातार स्वागत सम्मान का दौर चलता रहा.

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