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5 April 2015

मौत के मुंह मे कूंदकर बेटी की जान बचाई

वडोदरा: एक मां ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर मगरमच्छ के मुंह से बेटी की जान बचाई. मौत के मुंह से वापस मिली नई जिंदगी. गुजरात मे पडरा शहर के पास थिकरियामुबारक गांव में अपनी बेटी की जान बचाने के लिए महिला ने गजब का साहस दिखाया. 19 वर्षीय लड़की कांता वांकर प्रतिदिन की तरह विश्वामित्र नदी मे कपड़े धो रही थी की अचानक ये अनहोनी घटना उनके साथ शक्रवार सुबह करीब 9.30 बजे घटित हो गई. मगरमच्छ ने अचानक उस पर हमला बोल दिया और पैर को जबड़े में जकड़ कर नदी में खींचने लगा. डर के मारे कांता जोर-जोर से चिल्लाई चीखी और मदद के लिये पुकारा. लेकिन आस-पास खड़ी सारी महिलाएं डर के मारे पानी से निकलकर दूर हो गईं. इसके बावजूद कांता की माँ दिवाली ने रोने चीखने की जगह मगरमच्छ से लड़ने का तुरंत फैसला किया. मां ने हिम्मत नहीं खोई और अपनी बेटी की जान बचाने के लिए खुद के जीवन को जोखिम मे डाल दिया. मां ने बेटी का हाथ जोर से पकड लिया और दूसरे हाथ में कपडा धोने का डंडा थाम लिया. फिर डंडे से मगरमच्छ के मुंह पर बार-बार कई वार किये. मगरमच्छ को अकेले ही करीब 10 मिनट तक ताबड़तोड़ पीटती रही. तब जाकर कहीं मगरमच्छ ने कांता का पैर छोड़ा और गहरे पानी में चला गया.

ये हमला गांव के ही एक बड़े मगरमच्छ ने कांता पर किया था. आखिर मे मां अपनी बेटी को बचाने में कामयाब रही. अपनी बेटी की जान बचाने के लिए एक साधारण महिला ने अपनी असाधारण नारी शक्ति का परिचय दिया. हमले के बाद कांता के पैर में गहरा जख्म पहुंचा और मां ने तुरन्त उसे हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती करवाया. अब उसकी हालत सामान्य बताई गई है.

नदी किनारे मगरमच्छ अक्सर ग्रामीणों पर हमला कर देते है और जान का भय बना रहता है. वन विभाग की स्पेशल टीम के अनुसार अधिकारियों को जब इस घटना की जानकारी प्राप्त हुई तो वह मौके पर पहुंचे. अधिकारियों के अनुसार बताया गया है कि गत जनवरी माह में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से मगरमच्छों की गिनती की गई थी. तब विश्वामित्र नदी में 260 मगरमच्छ पाए गए थे. इसके बाद गांव वालों को नदी के नजदीक जाने के लिए मनाही की गई थी, लेकिन ग्रामीण जन अधिकारियो की बात सुनते ही नहीं और कपड़े धोने नदी किनारे आ ही जाते हैं.

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