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18 December 2015

पूर्व मंत्री शर्मा को सभी मामलो में जमानत

पूर्व मंत्री शर्मा को जमानत

जबलपुर: खूनी व्यापमं मामले में आरोपी पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को हाईकोर्ट से सभी मामले में जमानत मिली. हाईकोर्ट ने आरक्षक भर्ती घोटाला-2012 मामले में सुनवाई की. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस केमकर व न्यायाधीश केके त्रिवेदी की युगलपीठ ने आरक्षक(कांस्टेबल) भर्ती घोटाला मामले में शुक्रवार को जमानत दे दी. सभी पांच मामलों में जमानत मिलने पर लक्ष्मीकांत शर्मा अब जेल से बाहर आ सकते है. व्यापम घोटाले की जांच पहले एसटीएफ ने की, फिर उच्च न्यायालय की निगरानी में एसआईटी ने जांच की और अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई जांच कर रही है.

पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को कुल पांच मामलों में आरोपी बनाया गया था. पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने मंगलवार को लक्ष्मीकांत शर्मा को कांस्टेबल भर्ती परीक्षा, खाद्य आपूर्ति निरीक्षक परीक्षा और पीएमटी परीक्षा घोटाले मामले में जमानत मिल गई थीं. उन्हें एक मामले में पूर्व में ही जमानत मिल चुकी थी. एक में आज मिली और इस तरह सभी मामलो में जमानत मिल चुकी है.

एसटीएफ ने लक्ष्मीकांत शर्मा के खिलाफ वर्ष 2013 में मामला दर्ज किया था. व्यापमं मामले की पूर्व में जांच कर रही एसटीएफ ने जून 2014 में लक्ष्मीकांत शर्मा को भोपाल स्थित बंगले से गिरफ्तार किया था. तभी से शर्मा भोपाल की सेंट्रल जेल में लगभग डेढ़ साल से बंद है. इसके बाद से वह सारे मामलों में रिहाई के लिए जमानत मिलने का इंतजार कर रहे थे. पूर्व मंत्री की गिरफ्तारी एक मामले में हुई थी और इसके बाद व्यापमं से जुड़ी अन्य गड़बड़ियों में भी उन्हें आरोपी बनाया गया था.

शर्मा पर संविदा शिक्षक परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर नियुक्तियां कराने सहित पीएमटी, पुलिसकर्मी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा के आरोप है. प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल(व्यापम) फर्जीवाड़े में पूर्व मंत्री शर्मा के खिलाफ कई नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी को लेकर मामले दर्ज थे. मंत्री सिर्फ आरक्षक भर्ती घोटाला मामले में न्यायिक अभिरक्षा में थे.

आरक्षक भर्ती घोटाला सुनवाई मामले में सीबीआई की तरफ से जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं. मामला अदालत में लंबित है, आरोपी जमानत का लाभ मिलने से साक्ष्यों व सुनवाई को प्रभावित कर सकता है.

याचिकाकर्ता शर्मा की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अनिल खरे, अधिवक्ता भास्कर पांडे तथा अधिवक्ता प्रवीण वर्मा ने युगलपीठ को बताया कि इस मामले में अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. इसके अलावा मंत्री पर गिरोह का सरगना होने का नहीं, बल्कि मध्यस्थ होने का आरोप है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद पांच लाख रुपये के निजी मुचलके पर मंत्री शर्मा को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया है.

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