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5 September 2015

पीएम ने बोधि‍वृक्ष के नीचे किया ध्यान

पीएम ध्यान बोधि‍वृक्ष

बोधगया(पटना): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बोधगया पहुंचे और वहां महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना की. उन्होंने पवित्र महाबोधि वृक्ष की छांव में बैठकर ध्यान भी लगाया. बोधि वृक्ष के नीचे करीब 12 मिनट तक ध्यान लगाया. इस मौके पर बड़ी संख्या में बौद्घ भिक्षु मौजूद रहे. प्रधानमंत्री के साथ नई दिल्ली में आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू-बौद्घ सम्मेलन' में भाग लेने वाले कई देशों के प्रतिनिधि भी बोधगया पहुंचे हैं. महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्घ की पूजा की. इस दौरान एक प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया. ऐसी मान्यता है की इसी बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. बोध गया बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. प्रधानमंत्री का दौरा 'संघर्ष निषेध और पर्यावरण चेतना पर वैश्विक हिंदू-बौद्ध पहल' नामक तीन दिवसीय संवाद सम्मलेन में हुआ. प्रधानमंत्री ने पूरे मंदिर परिसर में भ्रमण किया और कई ऐतिहासिक चीजों को देखा और उसकी जानकारी प्राप्त की. इस अवसर पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हिंदू-बौद्ध सम्मेलन को संबोधित किया. पटना हवाईअड्डे से महाबोधि मंदिर परिसर तक के मार्ग को 'पंचशील ध्वज' से सजाया गया. इस मौके पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया जिसका विषय था चेतिया कारिका: सच्चाई को जानने की तीर्थयात्रा और चाह. उनकी यह यात्रा संयोगवश ऐसे समय हुई है जब 'ग्लोबल हिंदू बुद्धिस्ट इनीशिएटिव' के प्रतिनिधि बोध गया में मौजूद थे.

पीएम ध्यान

महाबोधि मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव एन दोरजे ने बताया कि 'अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू-बौद्घ सम्मेलन' जिसकी शुरुआत दिल्ली में हुई थी, उसका शनिवार के बोधगया में समापन होगा. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मंदिर परिसर में ही 'संघर्ष से बचाव और पर्यावरण जागरुकता' विषय पर विदेशी प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे.

अपने सम्मेलन संबोधन में मोदी ने कहा कि हिंदू-बौद्ध समाज हमें शांति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है. सरकार बोधगया को आध्यात्मिक राजधानी के रुप में विकसित करेगी. पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के बाद मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला है. बोधगया का दौरा करने वाले मोदी देश के तीसरे प्रधानमंत्री हैं. भारत को बौद्ध भारत कह कर पुकारने की इच्छा होती है. यह संयोग है कि आज भगवान कृष्ण के जन्मदिवस(जन्माष्टमी) पर यह आयोजन हो रहा है. भगवान बुद्ध को भारत के 'मुकुट का रत्न' बताते हुए कहा कि बुद्ध न केवल हिंदू धर्म में सुधार लाये बल्कि विश्व के पैमाने पर भी ऐसा किया. बोध गया में बुद्ध को जो ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वही हिंदूवाद में ज्ञानोदीप्ति की रोशनी है. सरकार इस पवित्र से पवित्रतम स्थल से उन सभी बौद्ध राष्ट्रों को सभी प्रकार की सहायता मुहैया कराएगी जिसकी उन्हें अपनी आध्यात्मिक जरुरतों की संतुष्टि के लिए आवश्यकता है. गौतम बुद्ध और भगवान कृष्ण ने विश्व को बहुत कुछ सिखाया है. गौतम बुद्ध ने आठ सूत्री मार्ग तथा पंचशील दिया जबकि श्री कृष्ण ने कर्म योग के रुप में जिंदगी का अनमोल पाठ पढ़ाया.

भगवान बुद्ध ने विश्व को नैतिकता की एक संपूर्ण व्यवस्था दी, वह समानता के एक महान शिक्षक थे. सालों पहले बोध गया को सिद्धार्थ मिला लेकिन बोध गया ने विश्व को भगवान बुद्ध दिया, जो ज्ञान, शांति और करुणा का प्रतीक है. आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत पूर्व राष्ट्रपति और अध्यापक सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को अध्यापक दिवस के रुप में मना रहा है और बुद्ध सर्वाधिक प्रभावशाली अध्यापकों में से एक थे जिनकी शिक्षाओं ने सदियों तक लाखों लोगों को प्रेरित किया.

प्रधानमंत्री की अगवानी बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) के नेताओं ने की. पीएम को लेने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं पहुंचे. राज्य सरकार की तरफ से उनका स्वागत मंत्री श्याम रजक ने किया. हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

प्रधानमंत्री के बोधगया आगमन को लेकर नक्सलियों ने शुक्रवार रात से 24 घंटे मगध बंद की घोषणा की.

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