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8 May 2017

नदी संरक्षण मंथन कार्यक्रम का सीएम ने किया उद्घाटन

नदी संरक्षण मंथन कार्यक्रम उद्घाटन

भोपाल: नदी, जल और पर्यावरण संरक्षण मंथन कार्यक्रम का सोमवार को दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया. पिछले 141 दिनों से जारी नमामि देवि नर्मदे-सेवा यात्रा के समापन दिवस 15 मई को नदी संरक्षण की कार्य-योजना जारी करने के लिए प्रशासन अकादमी में नदी-जल-पर्यावरण संरक्षण पर मंथन हुआ. जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, जल पुरुष और मैगासेसे अवार्ड से सम्मानित राजेन्द्र सिंह और केन्द्रीय मंत्री अनिल माधव दवे ने किया. उद्घाटन सत्र में नर्मदा सेवा यात्रा पर लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई. इस मंथन में जल-संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों ने भाग लिया. मंथन का आयोजन पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन और जन-अभियान परिषद द्वारा आयोजित किया गया था.

इस समारोह में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा अगले साल प्रदेश की सभी नदियों को जीवन देने का अभियान चलेगा. नर्मदा सेवा यात्रा अब एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है. नर्मदा सेवा जीवन का मिशन है. यह राजनैतिक कर्मकांड नहीं है. नर्मदा किनारे पौधे लगाने करोडो पौधे को भी तैयार किए गए.

केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री अनिल दवे ने कहा नर्मदा के कछार क्षेत्र को समृद्ध करना जरूरी है. मध्यप्रदेश पूरे देश में नदी एवं जल संरक्षण का उदाहरण प्रस्तुत करेगा. जल पुरुष और मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित श्री राजेन्द्र सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नदियों को बचाने के काम से राज, समाज और संतों को जोड़कर उल्लेखनीय काम किया है. नर्मदा के साथ-साथ सहायक नदियों को भी संरक्षण की जरूरत है.

बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्राफ ने कहा कि भविष्य की पीढ़ी को देखते हुए अभी से जल की चिंता करना जरूरी है. भू-जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है सबको यह सोचने की आवश्यकता है कि हम भविष्य के लिये कैसा पर्यावरण छोड़ना चाहते हैं. प्रत्येक नागरिक को विशेष अवसरों पर पौधा रोपण अवश्य करना चाहिए. इस मौके पर जैकी श्रॉफ ने कविता की चंद लाइनें भी सुनाई 'कुछ लोग आए थे पेड़ काटने मेरे गांव में, धूप बहुत है, यह कहकर बैठ गए उसी पेड़ की छांव में'.

इस मंथन के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री अनिल माधव दवे, एनजीटी के जस्टिस दिलीप सिंह, जल-पुरुष राजेन्द्र सिंह भी मौजूद रहे. जल-पर्यावरण विशेषज्ञ, भूगर्भ शास्त्री, वैज्ञानिक, यमुना बॉयो-डायवर्सिटी, गंगा अभियान, वनस्पति शास्त्र, मौसम विभाग, नर्मदा शोध, वानिकी, जल-संरक्षण एवं ग्रामीण विकास, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन अधिकारी, समाज-शास्त्री, सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी, पर्यावरण संरक्षण में संलग्न संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.

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