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22 July 2019

इसरो का चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लांच, पीएम ने दी बधाई

इसरो चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लांच

श्रीहरिकोटा(आंध्रप्रदेश): इसरो ने चंद्रयान-2 का आज सोमवार दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा(आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया. 17 मिनिट बाद सफलतापूर्वक प्रथ्वी की कक्षा में पहुंचा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के सबसे शक्तिशाली रॉकेट जीएसएलवी-मार्क III-एम1 से लांच हुआ. लॉन्च के 48 दिन बाद यान चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा. चंद्रयान-2 का पहली बार प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते करीब एक घंटे पहले रोक दिया गया था, 15 जुलाई की रात 2.51 बजे होनी थी लांचिंग. चंद्रयान-2 ले जाने वाले भारत के रॉकेट जियोसिंक्रोनिक सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का प्रक्षेपण देखने के लिए 7,500 लोगों ने इसरो में ऑनलाइन पंजीकरण कराया था.

रॉकेट में तीन मोड्यूल है ऑर्बिटर, लैंडर(विक्रम) और रोवर(प्रज्ञान) शामिल है. समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा. पहले 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा. इसकी लैंडिंग ऐसी जगह तय की गई है, जहां सूरज की रोशनी ज्यादा है. इसरो लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारेगा. इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा.

चंद्रयान-2 का वजन 3,877 किलो है. इस मिशन की लागत 978 करोड़ रुपये है. यह चंद्रयान-1 मिशन(1380 किलो) से करीब तीन गुना ज्यादा है. इसरो चंद्रयान-2 को पहले अक्टूबर 2018 में लॉन्च करने वाला था. बाद में इसकी तारीख बढ़ाकर 3 जनवरी और फिर 31 जनवरी कर दी गई. बाद में अन्य कारणों से इसे 15 जुलाई तक टाल दिया गया. इस दौरान बदलावों की वजह से चंद्रयान-2 का भार भी पहले से बढ़ गया. ऐसे में जीएसएलवी मार्क-3 में भी कुछ बदलाव किए गए थे. चंद्रयान-2 में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था. चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है. ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके. चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं. जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा. जल के संकेत तलाशने के अलावा शुरुआती सौर मंडल के फॉसिल रिकॉर्ड भी तलाश किए जाएंगे.

चंद्रयान 2 की सफल लॉन्चिंग पर इसरो के साथ-साथ देशभर में जश्न का माहौल है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो और भारतीयों को बधाई संदेश दिया.

चंद्रयान-2 मिशन की वैज्ञानिक टीम में मध्य प्रदेश के दो युवा वैज्ञानिक भी शामिल थे. इनमे रतलाम के हिमांशु शुक्ल ने चंद्रयान-2 के बूस्टर तैयार करने में अहम भूमिका निभाई. वही टीम में दूसरी युवा सांइटिस्ट कटनी के कैमोर की मेघा भट्टा रही. मेघा भट्ट चंद्रयान-2 टीम में डाटा एनालिस्ट हैं. हिमांशु सफल प्रोजेक्ट मंगलयान में भी शामिल रह चुके हैं.

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