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01 July 2022

पुरी में जगदीश रथयात्रा शुरू, 1 से 12 जुलाई तक चलेंगी

पुरी रथ यात्रा शुरू

पुरी: कड़ी सुरक्षा के बीच पुरी में रथयात्रा की शुरुआत हुई. रथ यात्रा का शुभारम्भ ओडिशा(Odisha) के पुरी(Puri) में शुरू हो गया है. देवी सुभद्रा अपने दर्पदलन रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की यात्रा शुरू कीं. देशभर में उत्साहपूर्वक रथ यात्रा निकाली गई. दो साल से कोरोना की वजह से रथ यात्रा पर रोक लगी थी. इस रथयात्रा में पहली बार भक्तों को जाने की अनुमति दी गई है.

पुरी रथ यात्रा शुरू

भगवान विष्‍णु के प्रमुख अवतारों में से एक भगवान जगन्‍नाथ की यह रथयात्रा बेहद मशहूर है. यह रथ यात्रा जितनी मशहूर है, उतना ही मशहूर इसका महाप्रसाद है. इस महाप्रसाद को बनाने में इस्‍तेमाल होने वाले पानी से लेकर इसकी प्रक्रिया तक हैरत में डालने वाली है. यह महाप्रसाद दुनिया के सबसे बड़े किचन में तैयार होता है. इसमें शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लोग आते हैं. भगवान का रथ खींचकर पुण्य कमाने की लालसा में लाखों भक्त पुरीधाम पहुंच चुके हैं. प्रदेश सरकार ने पूरी यात्रा शांतिपूर्ण कराने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. प्रख्यात सैंड आर्टिस्ट पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने रथ यात्रा के अवसर पर पुरी समुद्र तट पर रेत से 125 रथ और भगवान जगन्नाथ की एक मूर्ति बनाई है.

गृहमंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर में मंगल पूजा की. जगन्नाथ पुरी(Jagannath Puri) की तर्ज पर अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 145वीं यात्रा निकाली गई. रथयात्रा(Rath Yatra) में सबसे पहले 17 हाथी, 101 ट्रक में भगवान जगन्नाथ की अलग-अलग झांकिया निकाली जाती हैं. शाह ने आस्था और भक्ति के अनूठे संगम श्री जगन्नाथ रथयात्रा के पवित्र अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी.

पुराणों के मुताबिक, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी. तब जगन्नाथजी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े. इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और सात दिन ठहरे. तभी से यहां पर रथयात्रा निकालने की परंपरा है. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्‍नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ तीन भव्‍य रथों में सवार होकर निकलते हैं. इसमें पहला रथ भगवान जगन्‍नाथ का, दूसरा भाई बलराम और तीसरा बहन सुभद्रा का होता है.

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