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16 July 2014

भगवान शिव की पूजा का माह श्रावण माह

lord shiv

श्रावण मास हिंदू केलेन्डर का 5वा महिना चैत्र से शुरु होता है. अंग्रेजी मे जुलाई-अगस्त माह मे पड़ता है. चातुर्मास का सवसे महत्पपूर्ण माह है. पूजा अर्चना के लिये भक्त इसे साल का पवित्र माह मानते है. श्रावण नक्षत्र मे पूर्ण चंद्रा रहता है इसलिए इस माह को साल का महत्त्वपूर्ण माह मानते है. पूरे माह भगवान शिव की पूजा, व्रत किये जाते है. सप्ताह मे सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिये खास मानते है. शिव मंदिरों मे भक्तो की लम्बी लम्बी कतारे रहती है.

हिंदू मान्यताओ के अनुसार इसे साल के त्यौहारों की शुरूवात मानते है. शिव जी को शुद्ध दूध, घी, दही, शहद, शक्कर पंचामृत से स्नान कराया जाता है. भक्त वेलपत्र, अर्क, धतुरा अर्पित करते है. दीप प्रज्जवलित करते है. पूरे माह पूजा-पाठ कर्मकांड किये जाते है. इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ करके प्रत्येक सोमवार को शिवजी का व्रत करना चाहिए. शिव लिंग को गंगा जल चड़ाया जाता है. मंदिरों, घरो पर मिट्टी के शिव लिंग का निर्माण किया जाता है. महिलाए सुखी जीवन की और कुंवारी कन्याए मन पसंद वर की कामनाए करती है.

त्रि दलम्‌ त्रि गुणाकारम्‌, त्रि नेत्रम्‌ च त्रयायुधम्‌।
त्रि जन्म पाप संहारम्‌, एक बिल्व शिर्वापणम्॥

महाकालेश्वर, ओमकारेश्वर सहित समस्त शिव ज्यौतिलिंगो की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. महाकालेश्वर, ओमकारेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से है. यह मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों मे से है. इन मंदिरों का पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में मनोहर वर्णन मिलता है. इसी माह समुंद्र मंथन हुआ था भगवान् शिव ने विष पिया और अपने गले मे विष को रखा इससे कंठ नीला हो गया तभी से उनको नीलकंठ, आशुतोष भगवान् के नाम से भी भक्त जानते है.

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